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इंदौरियों के जोश, जुनून और जिद ने रच दिया इतिहास लक्ष्य से एक लाख पेड़ लगा दिए ज्यादा, इंदौर का यह रिकार्ड शायद ही कभी टूटे

इंदौरियों के जोश, जुनून और जिद ने रच दिया इतिहास

लक्ष्य से एक लाख पेड़ लगा दिए ज्यादा, इंदौर का यह रिकार्ड शायद ही कभी टूटे

शाम पांच बजे ही हांसिल कर लिया था लक्ष्य, झूम उठे मंत्री विजयवर्गीय और महापौर

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्राप्त किया विश्व रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट

इंदौर। रविवार 14 जुलाई यह तारीख इंदौर के इतिहास में हमेशा कायम रहेंगी। यह दिन इंदौरियत है यहां के बंदों के जोश, जुनून और जिद का है। इंदौर ने दुनिया को दिखाया है कि हम जो ठान लेते है पूरा करके ही दम लेते है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली भी नहीं पहुंचे होंगे और वह रिकार्ड बन गया जिसकी उन्होंने शुभकामना मंच से दी थी। लगाए जाने वाले पौधों की गणना का चार्ट हर घंटे प्रिपेयर हो रहा था लिहाजा शाम पांच बजे ही पता चल गया कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बन चुका। लक्ष्य प्राप्त करते ही मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव झूम उठे। हजारों नागरिकों, बीएसएफ के अधिकारी और जवानों के बीच जश्न का ऐसे सिलसिला शुरू हुआ जो रिकॉर्ड की अधिकृत घोषणा के बाद तक चलता रहा। शाम 7 बजे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आयोजन स्थल पर पहुंचे और गिनीज बुक के अधिकारियों के हाथ से वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्राप्त किया। इस मौके पर केंद्रीय महिला बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी सहित अनेक नेता मौजूद थे।

फिर लौटेगी मालवा की तासीर :
वैसे तो रिकार्ड बनने का पता शाम पांच बजे ही चल गया था। नियम के मुताबिक चौबीस घंटे की एक सतत प्रक्रिया को पूरा करना होता है। इसलिए फायनल गणना के साथ अधिकृत घोषणा शाम सात बजे की गई। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्राप्त किया तो माहौल दोबारा जश्न का बन गया। उन्होंने इस मौके पर इंदौर और प्रदेश के लिए यह एक गौरवशाली क्षण बताया। उन्होंने कहा बधाई इंदौर तुमने कर दिखाया। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा कि जिस तासीर के लिए मालवा जाना जाता है वह फिर से लौटेगी। लोग हरियाली, पानी बचाने को लेकर सजग हुए यह अच्छी बात है। इंदौर के नागरिकों के इस जज्बे से अन्य जिले भी प्रेरणा ले।

खुशी के मारे नाच उठे विजयवर्गीय :
शाम पांच बजे जैसे ही 11 लाख पौधे लगने की सूचना मिली कैलाश विजयवर्गीय तो खुशी से झूम उठे। मौजूद कार्यकर्ता, आम नागरिक, बीएसएफ के जवान और अधिकारी सब झूमने लगे। माइक हाथ में लिए विजयवर्गीय ने देश है वीर जवानों का गीत गीत गाया तो लोगों का उत्साह चरम पर आ गया। दुश्मन की देखो जो वाट लावली और रंग दे बसंती गीत पर तो वे और महापौर पुष्यमित्र भार्गव खुद को नाचने से नहीं रोक पाए। उधर मौजूद लोगों का जोश भी परवान पर था और देर तक नाच गाने का दौर चलता रहा।

लोगों के उत्साह के आगे फैल हुए सारे अनुमान :
पौधा रोपण की समस्त तैयारी शनिवार दोपहर तक पूरी हो चुकी थी। गिनीज बुक आॅफ रिकार्ड की टीम की मौजूदगी में ठीक सात बजे गड्ढे करने का काम शुरू हुआ। रविवार को पौधारोपण के लिए जो प्लानिंग की गई उसके मुताबिक करीब तीस हजार लोगों की लिस्टिंग की गई थी। शहर के विभिन्न समाजों को अलग अलग समय दिया गया था। इसमें स्कूल कॉलेज के विद्यार्थी शामिल नहीं थे। पर रविवार को तो शहर का नजारा ही अलग था। लोगों में रेवती रेंज पहुंचने का एक अलग ही उत्साह नजर आ रहा था। छुट्टी का दिन पौधे लगाने के जुनून डूबे लोग अल सुबह से ही रेवती में आना शुरू हो गए। सुबह सात बजे से शाम तक अनुमान से तीन गुना लोग रेवती पहुंच गए। मनाही के बावजूद एक दर्जन से ज्यादा स्कूली और कॉलेजों के छात्र भी पहुंच गए।

एक नजर महाअभियान की व्यवस्था पर :
रेवती रेंज की पहाड़ी और मैदान मिला कर कुल 90 एकड़ का क्षेत्र इस महाअभियान के लिए चयनित किया गया था। सूखी जमीन पर सबसे पहले दो बोरिंग करवाए गए। इन दोनों बोरिंग में भरपूर पानी निकल आया। इसके बाद पहाड़ी और मैदानी इलाका का कंटू सर्वे करवा कर इसे 9 जोन और 100 सब जोन में विभाजित कर लिया गया था। 46 दिन में इतने बड़े इलाके में गड्ढे करवाना, देश के अलग अलग राज्यों से पौधे मंगवाना, उन्हें व्यवस्थित रूप से सुरक्षित रखवाने के लिए एक टीम विशेष रूप से तैनात की गई थी। समाजों, व्यापारिक संगठनों, शहर की संस्थाओं आदि से समन्वय के लिए एक टीम अगल थी। जोन और सब जोन बनने के बाद गड्ढों की टैगिंग की गई। पूरे इलाके में सौ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। यह सारा काम गिनीज बुक आॅफ रिकार्ड की टीम के निर्देशन में किया गया था। शनिवार को सभी जोन और सब जोन में पौधे, खुरपी, मिट्टी, पानी, कटर, डस्टबिन जैसी सामग्री रखवा दी गई। हर जोन और सब जोन के लिए प्रभारी और एक टीम सारे इंतजामों से लेस मौजूद थी।

हर जोन के लिए अलग समय :
पहले से तय की गई व्यवस्था के मान से विभिन्न समाजों और संस्थाओं को जोन वार अलग अलग समय दिया गया था। ताकि ना तो एक साथ भीड़ जुटे और ना अव्यवस्था फैले। आने जाने के लिए 750 बसों का बंदोबस्त किया गया था। यह बसे शहर के विभिन्न स्थानों से रेवती तक आई। पौधा रोपण के बाद भोजन करवा कर लोगों को पुन: नागरिकों को गंतव्य पर छोड़ा गया। रविवार को पौधा रोपण के लिए 148 समाज, व्यापारी संगठन, एनसीसी कैडेट्स, स्काउट और बीएसएफ के नाम ही सूची में दर्ज थे। जिनकी अनुमानित संख्या करीब तीस हजार थी। उधर रविवार की छुट्टी और खुशनुमा मौसम के बीच लोग परिवार सहित पौधा रोपण के लिए रेवती जा पहुंचे। दिन भर आने वालों का सिलसिला चलता रहा जिसका आंकड़ा करीब एक लाख माना गया है।

अब आगे कैसी होगी तैयारी :
पौधे लग गए अब जिम्मेदारी पौधों को बचाने की है। इस संबंध में मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि पूरे क्षेत्र को बाउंड्री वॉल से कवर किया जाएंगा। अभी तत्काल में यह काम नहीं हो सकता इसके लिए बीएसएफ के जवानों की निगरानी में यह क्षेत्र रहेगा। साथ ही पूरे क्षेत्र की तार फेंसिंग करवाने के निर्देश दे दिए गए है। हमारी एक टीम फिलहाल यहीं पर तैनात रहेंगी। एक अस्थाई नर्सरी भी बनाई गई है जिसमे एक लाख पौधे उपलब्ध है। जिन लोगों ने पौधे लगाए है वे आकर इन्हें देखेंगे अगर पौधा मुरझा रहा है तो नर्सरी से दुसरा पौधा लेकर दोबारा लगा सकता है।

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